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समाचार पत्रो में रोजाना छपने वाले सड़क हादसों के समाचारो को आप और हम बेशक नज़र अंदाज़ कर देते है, लेकिन किसी की लापरवाही से जब किसी की बसी-बसाई दुनिया उजड़ जाये तो उसके बाद उसके दर्द को शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता, उसके परिवार कको जो असहनीय पीड़ा पहुचती है उसे कोई अन्य व्यक्ति नहीं समझ सकता, ऐसा ही कुछ हुआ था 4 नवम्बर 2008, शिमला से करीब 18 किलोमीटर दूर कुफरी में एक निजी बस 600 फ़ीट गहरी खाई में गिरने से 11 महिलाओ सहित 45 लोग मौत की गोद में समां गए थे, मृतको में 2 परिवार के 8 लोग शामिल थे!
13 नवम्बर 2008 पंजाब में नवाशहरवंगा मार्ग पर हुए सड़क हादसे ने तो चंडीगढ़ और मोहाली के लोगो की आँखे ही नम कर दी थी, मोहाली में रहने वाली एक विधवा महिला को किसी की भी हिम्मत नहीं थी ये बताने को की अब उसके परिवार में उसके अलावा कोई नहीं रहा क्योंकि वृद्धा के एकलौते पुत्र सर्वजीत, उसकी पत्नी रेनू, बेटी शीना और बेटे एकम की सड़क हादसे में मौत हो गयी थी! जब उनके शव मोहाली पहुचे तो वहाँ सभी की आंखे नम थी! पुलिस ने जब इस हादसे की खबर विधवा को दी तो विधवा माँ खबर सुन कर बेहोश हो गयी!
ये तो चंद मिसाल है कुछ दुर्घटनाओ की इस तरह के अनेको-नेक खबरे हम आये दिन अखबार में देखते रहते है जबकि लहू से लाल सडको की दास्तान काफी भयानक है! सड़क हादसों की वजह चाहे जो रही हो लेकिन इन दुर्घटनाओ में मरने वाले लोगो के परिजन बिना किसी कसूर के सारी उम्र उस की सजा भुगतते है, वैसे तो पूरी दुनिया में सड़क हादसे भयावह ढंग से बढ़ रहे है लेकिन भारत में हालात और ज़्यादा बदतर है! यहाँ यातायात नियमो के प्रति उदासीनता, स्पीड ब्रेकर की भरमार, पुलिस में बढ़ते भ्रस्टाचार, सड़को के गलत डिजाईन तथा पैदल पथ के अभाव में सड़क हादसों की संख्या खतरनाक ढंग से बढ़ रही है!
रात्रि में ड्राइविंग सबसे खतरनाक – सड़क हादसों में हो रही वृद्धि पर चंडीगढ़ मौसम विभाग के अधिकारी बताते है की रात में ड्राइविंग करने वालो को अतिरिक्त सावधानी बरतने की ज़रुरत होती है, क्योंकि धुंध के दौरान देखने की क्षमता काफी कम हो जाती है, कोहरा अधिक होतो केवल 500 मीटर तक ही देखा जा सकता है! दिन और रात के तापमान में अंतर और प्रदुषण की समस्या इस सड़क संकट को और ज़्यादा बढ़ा देती है, लिहाज़ा राजमार्गो पर लाइट रिफ्लेक्टर लगाने को ज़रुरत है! दिल्ली चंडीगढ़ हाईवे पर दुर्घटना की मुख्य वजह धुंध और कोहरा ही है! इन हादसों को एंटी फाग रिफ्लेक्टर की मदद से कम किया जा सकता है मगर शुन्य विजिबिलिटी में ये भी कार्य नहीं करते है, लेकिन वाहनों पर फागलाइट या पीले रंग की लाइट हादसों से बचाओ के लिए कारगर उपाय है!
बढ़ते वाहनों की संख्या – बड़ी बड़ी कंपनियों द्धारा खरीदी जा रही ज़मीनो की वजह से हरियाणा के ठेठ ग्रामीण क्षेत्रो में मानो लग्ज़री वाहनों की बाढ़ सी आ गयी है, कमोबेश यही स्तिथि पंजाब और चंडीगढ़ के साथ लगते गांवो में भी देखी जा सकती है! दिल्ली के ट्रैफिक कानून के तहत बेकार हो चुकी वाहनों को बड़ी सुगमता से हरियाणा और पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रो में देखा जा सकता है!
स्पीडब्रेकरों का कहर – आम तौर पर स्पीडब्रेकर पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही बनाये जाते है, लेकिन कितने ही मामलो में देखा गया है कि यही गलत नियमो से बने ब्रेकर निर्दोष वाहन चालको कि जान ले लेते है! मेरा तो मानना है कि ब्रेकरों को बनाने के बजाये ट्रैफिक नियमो को तोड़ने वालो के विरुद्ध नियमो को और कठोर बनाया जाये! मौजूदा राजमार्ग के नए ट्रेंड में तो सड़क निर्माण का पूरा खर्च ही टोल टैक्स के रूप में वहां चालक से वसूला जाता है तो फिर स्पीडब्रेकर से क्यों उसी कि जान जोखिम में डाली जाये!
वैसे ज़्यादातर मामलो में देखा गया है कि दुर्घटना का मुख्य कारण नशा या ड्राइवर के फिट न होना ही रहा है! अतः हमेशा इस बात का धयान रखना चाहिए कि ड्राइवर थका अथवा रात का जगा हुआ न हो, और नशे कि हालात में तो कदापि ही ड्राइव नहीं करनी चाहिए इन्ही सब बातो को अगर हम अपने जीवन में उतार ले तो हम एक सुखमय जीवन बिता सकते है और किसी और कि ज़िन्दगी भी खतरे में डालने से बचा सकते है!
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