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कहानी अपने आपको पहचानने की

smsduniya
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जंगल में सभी जानवर आज़ादी से घूम फिर रहे थे कि अचानक शिकारियों का एक ग्रुप वह पहुच गया और देखते ही देखते सारे जानवर जिसको जिधर दिशा मिली भाग खड़े हुए और कुछ का शिकार हो गए, इसी बीच शेर का छोटा बच्चा भी अपने माँ बाप से बिछड़ गया! बेचारे को बहुत ढूंढा उसके माँ बाप ने लेकिन वो नहीं मिला! इधर वो छोटा बच्चा भी भूक से तड़पता हुआ अपने माँ बाप को बहुत व्याकुल हो कर धुंध रहा था! काफी ढूंढने के बाद भी जब उसे उसके माँ बाप नहीं मिले तो वो दुखी मन से एक पेड़ के नीचे बैठ गया वो बैठा ही था कि वहाँ उसे कुछ दूरी पर एक बकरी और उसके कुछ बच्चे खेलते हुए दिखाई दिए, वो बहुत भूखा था किसी तरह बकरी के पास पंहुचा और बकरी जो अपने बच्चो को दूध पिलाने जा रही थी! शेर के इस छोटे बच्चे को देख कर घबरा गयी लेकिन अपने बच्चो के मनोबल के लिए वो डट के खड़ी रही और अपने बच्चो को दूध पिलाने लगी! शेर का बच्चा उसे लालच भरी निगाहों से देखने लगा और जब बकरी के बच्चे दूध पी चुके तो वो भी बकरी के पास पहुच गया और उसके थन में अपना मुँह लगा के दूध पीने लगा, इस तरह से दोनों ने एक दुसरे को अपना लिया और अब बकरी उसकी माँ थी और शेर का बच्चा उसका बेटा, अब तो शेर का बच्चा बकरी के बच्चो के साथ खेलने लगा, बकरी का बच्चा और शेर के बच्चा सब आपस में भाई-भाई हो चुके थे! दिन भर साथ में खेलना और सबका साथ में सोने, इसी तरह दिन गुज़रते गए बच्चे धीरे धीरे बड़े होने लगे, शेर के बच्चे को भगवान से एक ही शिकायत रहती थी कि मेरे भाइयो को तो तूने सींघे दे रखी है जिसकी वजह से वो हमेशा मुझसे जीत जाते है और अक्सर उन सींघो से मुझे मारते भी है जबकि तूने मुझे एक भी सींघ नहीं दी जिससे के मैं बदला ले सकू, इसी शिकवे शिकायत के बीच दोनों के बच्चे बड़े हो गए और रोज़ की तरह खेलना कूदना और खा-पी के सो जाना यही उनकी ज़िन्दगी की दिनचर्या बन गयी थी! ज़िन्दगी यु ही गुज़र रही थी कि अचानक एक दिन बकरी और उसके बच्चे तालाब के किनारे खेल रहे थे कि अचानक एक बूढ़ा शेर वहाँ से गुज़रा उसको देखते ही शेर और उसके बच्चे वहाँ से भाग खड़े हुए, शेर ने जब ये देखा के एक बकरी और उसके बच्चो के साथ एक शेर भी उसे देख कर भाग रहा है तो उससे रहा नहीं गया और हिम्मत कर के किसी तरह उनका पीछा किया और थोड़ी ही दूर पर उस शेर को पकड़ लिया चूकि उस शेर कि परवरिश बकरी और उसके बच्चो के साथ हुई थी तो इस कारण से उसे शिकार करने और घात लगाने जैसे हुनर नहीं आते थे और बूढ़े शेर को ज़्यादा समय नहीं लगा उसको अपने नियंत्रण में करने में, अब बूढ़े शेर ने पुछा कि अब बताओ तुम मुझे देख के क्यों भाग रहे थे? उस शेर ने जवाब दिया के मेरे भाई और माँ भाग रहे थे तो मैं भी भाग रहा था! शेर को बड़ा आश्चर्य हुए उसने कहा किसने कहा वो तम्हारे भाई-बहन है? वो तो हमारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते है बल्कि हम तो उनका शिकार करते है! ये सुन कर शेर बोला हम भला उनका कैसे शिकार कर सकते है? उनको तो भगवान ने सींघे भी दी जबकि हमारे पास तो सींघ भी नहीं है! बूढ़े शेर उस शेर को बहुत समझाया लेकिन उसके एक समझ न आयी आखिरकार बूढ़ा शेर उसे ले कर तालाब पर गया और बोला देखो पानी में अपनी और मेरी तस्वीर क्या तुम्हे मुझमे और अपने में कोई फर्क नज़र आ रहा है! इस पर शेर बोला नहीं तब बूढ़ा शेर बोला देखो मेरे सर पर भी सींघ नहीं है और न ही तुम्हारे तो फिर ये बकरी और उसके बच्चे मुझे देख के क्यों भाग खड़े हुए जबकि उनके पास तो सींघे थी? अब बूढ़े शेर ने नसीहत भरे लहजे में उसे समझाया कि देखो हमेशा अपने अंदर कि शक्ति को पहचानो क्योंकि बाहरी बनावट में तो हो सकता है कि कोई तुमसे ज़्यादा शक्तिशाली हो या तुम्हारे समान्तर हो लेकिन असली शक्ति तो अंदर होती है जो आपके इरादों को प्रदर्शित करती है, अगर तुम अपने अंदर बैठे शेर को पहचान लोगे तो ये लोग तमसे खुद डरेंगे वरना तुम्हे भगवान् से शिकायतों के अलावा इस संसार में और कोई भी काम नहीं रह जायेगा!

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